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Ram Mantra to Eradicate Disease or Illness
Through this blog, Ram Mantra to Eradicate Disease or Ram Mantra for Illness & Good Health with Methods of Using and Benefits of Ram Mantra is presented to you.
In Tretayuga there is no deity superior to Lord Rama, no better fast than him, no superior yoga, and no excellent rituals. Ram is engrossed in every living being, Ram is the proof of consciousness and vitality. If Ram is not there then life is dead. There is that power in this name that the one who kills the dead starts doing Ram-Ram. There is power in this name which is not even in the chanting of thousands and lakhs of mantras.
Ram means ‘light’. Ram is at the origin of verses like Kiran & Abha(kanti). ‘Ra’ refers to aura (sparkle) and ‘Ma’ refers to me, mine and my-self. Means the grace inside me, the light in my soul.
In order to get the most auspicious results, all the wishes are fulfilled if this text is done in a systematic way with faith, faith and concentration. The person who recites Ram Mantra with faith, belief and method, with whatever feeling and desire, he definitely gets the right result according to that.
रोग मिटाने का राम मन्त्र
इस ब्लॉग के माध्यम से रोग मिटाने का राम मन्त्र, प्रयोग विधि और लाभ सहित आपके समक्ष प्रस्तुत है।
त्रेतायुग में भगवान राम से श्रेष्ठ कोई देवता नहीं, उनसे श्रेष्ठ कोई उपवास नहीं, कोई श्रेष्ठ योग नहीं, और कोई उत्कृष्ट अनुष्ठान नहीं। राम हर जीव में लीन हैं, राम चेतना और जीवन शक्ति के प्रमाण हैं। अगर राम नहीं हैं तो जीवन मर चुका है। इस नाम में वह शक्ति है कि जो मरे हुओं को मारता है वह राम-राम करने लगता है। इस नाम में वह शक्ति है जो हजारों लाखों मंत्रों के जप में भी नहीं है।
राम का अर्थ है ‘प्रकाश’। किरण और आभा (कांटी) जैसे छंदों के मूल में राम हैं। ‘रा’ आभा (चमक) को संदर्भित करता है और ‘मा’ मुझे, मेरा और मैं-स्व को संदर्भित करता है। मतलब मेरे अंदर की कृपा, मेरी आत्मा में प्रकाश।
इस पाठ को विधिपूर्वक श्रद्धा, विश्वास और एकाग्रता के साथ करने से सर्वाधिक शुभ फल की प्राप्ति होती है। जो व्यक्ति विश्वास, विश्वास और विधि से राम मन्त्र का जप जो भी भावना और इच्छा से करता है, उसे अवश्य ही उसके अनुसार उचित फल की प्राप्ति होती है।
Ram Mantra to Eradicate Disease or Illness
|| Mantra ||
Raam Krpaan Naasahin Sab Roga
Jaun Ehi Bhaanti Bane Sanjoga
रोग मिटाने का राम मन्त्र
|| मन्त्र ॥
रामकृपाँ नासहिं सबरोगा ।
जौंएहि भाँति बने संजोगा ।।
Benefits of Ram Mantra and Methods of Using Ram Mantra
The word ‘Ram’ on the paper with saffron ink Write and read the above mantra. Write the word ‘Ram’ again and then read the above mantra. Do the same action 10000 times.
When needed write the word ‘Ram’ on the paper and read the above mantra. Do like this seven times before dissolving the paper in water. Give this paper dissolved water to the patient. This is an amazing remedy to cure incurable and old patients too. They will become healthy fit and fine in some days.
मन्त्र की प्रयोग विधि और लाभ
कागज पर भगवा स्याही से ‘राम’ शब्द लिखो और उपरोक्त मंत्र पढ़ो। फिर से ‘राम’ शब्द लिखें और फिर उपरोक्त मंत्र का पाठ करें। यही क्रिया 10000 बार करें।
जरूरत पड़ने पर कागज पर ‘राम’ शब्द लिखकर उपरोक्त मंत्र का पाठ करें। कागज को पानी में घोलने से पहले ऐसा सात बार करें। इस कागज को घोला हुआ पानी रोगी को दें। यह असाध्य और वृद्ध रोगियों को भी ठीक करने का अद्भुत उपाय है। कुछ ही दिनों में वे स्वस्थ, फिट और ठीक हो जाएंगे।
Poet Rahim says that “Rahiman ram na ur dharai, rahat visiye laptaay pasu khar khat sawad son, gur buliye khay” instead of holding Lord Shri Ram in the heart, human beings remain immersed in enjoyment and luxury. First they eat the legs of animals for the taste of their tongue and then they have to take medicine.
Poet Kabir says that Ram is unreachable and resides in every particle of the world. The word ‘Nirgun Ram’ was used only to separate Ram from the scripture-propounded incarnation, Saguna, the guardian of the dominant Varnashrama system – ‘Nirgun Ram Japahu Re Bhai.
कवि रहीम कहते है कि “रहिमनराम न उरधरै, रहतविषय लपटाय पसुखर खात सवादसों, गुरबुलियाए खाय” भगवान श्री राम को हृदयमें धारण करने के बजाय मनुष्य भोग और विलास में डूबे रहते है। पहले तो अपनी जीभ के स्वाद के लिए जानवरों की टांग खाते हैं और फिर उनको दवा भी लेनी पड़ती है।
कवि कबीर कहते है कि राम तो अगम हैं और संसार के कण-कण में विराजते हैं। राम को शास्त्र-प्रतिपादित अवतारी, सगुण, वर्चस्वशील वर्णाश्रम व्यवस्था के संरक्षक राम से अलग करने के लिए ही ‘निर्गुण राम’ शब्द का प्रयोग किया–‘निर्गुण राम जपहु रे भाई।
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अगर आपको रोग मिटाने का राम मन्त्र, प्रयोग विधि और लाभ सहित से संबंधित कोई भी सवाल हो तो कमेंट सेक्शन में लिखें या आप हमें ईमेल भी कर सकते हैं।
भगवान श्रीराम आप और आपके परिवार का जीवन शुभ व मंगलमय करें, यही कामना है।