Shri Mahamrityunjaya Mantra | श्री मृत्युंजय मन्त्र | Amazing Mantra Experiments

Shri Mahamrityunjaya Mantra | श्री मृत्युंजय मन्त्र | Amazing Mantra Experiments

 

Mantras awaken the power beyond science and man. Whatever the mantra seeker wants. He definitely gets it, through this blog, we are going to present the very useful Mahamrityunjaya Mantra, whose proper use can benefit a human being. But never misuse them, otherwise there is no doubt about the total destruction.

मंत्र, विज्ञान और मानव से परे स्तिथ शक्ति को जाग्रत करते हैं। मंत्र साधक जो भी चाहता है। वह उसे अवश्य ही प्राप्त करता है इस ब्लॉग के माध्यम से हम बहुत ही उपयोगी महामृत्युंजय मंत्र के प्रयोग प्रस्तुत करने जा रहे हैं जिनके  उचित प्रयोग से मनुष्य लाभ उठा सकता है। परन्तु इनका दुरूपयोग कदापि न करें अन्यथा सम्पूर्ण विनाश होने में कदापि संदेह नहीं है।

 

Shri Mahamrityunjaya Mantra | श्री मृत्युंजय मन्त्र | Amazing Mantra Experiments - Knowledge Showledge
Shri Mahamrityunjaya Mantra | श्री मृत्युंजय मन्त्र | Amazing Mantra Experiments – Knowledge Showledge

 

Shri Mrityunjaya Mantra | श्री मृत्युंजय मन्त्र

 

Mr̥Tyun̄Jaya Dhyānam

Candrōdbhāsitamūrdvajaṁ Surapatiṁ Piyūṣapātraṁ Vahan

Hastābjēna Sudhānśukōṭivimalaṁ Hāsyāsyapaṅkēruham.

Sūrēndvāyāgni Vilōcanaṁ Karatalaiḥ Pānśākṣasūtrāṁ

Kuśāmbhōjān Vibhratamakṣaya Paśupatiṁ Mr̥Tyuñjaya Bhāvayē..

 

मृत्युंजय ध्यानम्

चन्द्रोद्भासितमूर्द्वजं सुरपतिं पियूषपात्रं वहन्

हस्ताब्जेन सुधांशुकोटिविमलं हास्यास्यपंकेरुहम्।

सूरेन्द्वायाग्नि विलोचनं करतलैः पांशाक्षसूत्रां

कुशांभोजान् विभ्रतमक्षय पशुपतिं मृत्युञ्जय भावये ॥

 

Shiva Gayatri | शिव गायत्री

 

Om Tatpurushay Vidmahe Mahadevaya Dhimahi

Tanno Rudra: Prachodayat.

 

ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि

तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्।

 

Short Death Mantra | लघु मृत्युञ्जय मन्त्र

The chanting of this mantra adds to the continuous increase in the means of self-realization. Practicing it in any kind of incurable disease gives unexpected benefits. Practicing it does not come close to a healthy person.

इस मन्त्र के जप से आत्मोन्नति के साधनों में निरन्तर वृद्धि का योग बनता है। किसी भी प्रकार के असाध्य रोग में इसका पाठ करने से आशातीत लाभ होता है स्वस्थ व्यक्ति के पाठ करने पर रोगादि पास नहीं आते।

 

Om Joon Sah Hasha Maam Paalay Paalay Sohan Saha Joon Om.

ॐ जूं सः हस: मां पालय पालय सोऽहं स: जूं ॐ।

 

In this mantra, at the place where these words “Hans: Maa” are, the name of the person for whom the chanting is being done can also be taken.

इस मन्त्र में जिस स्थान पर “हंस: मां” ये शब्द हैं वहाँ जिसके लिए जप किया जा रहा है उसका नाम भी लिया जा सकता है।

 

Mrityunjaya Mantra | मृत्युञ्जय मन्त्र

The mantra in the Yajurvediya Samhita is as follows: –

यजुर्वेदीय संहिता में मन्त्र इस प्रकार है:-

 

Om Tryambakam Yajaamahe Sugandhi Pushtivardhanam.

Urvaarukamiv Bandhanaanmrtyormuksheey Maamrtaat.

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धि पुष्टिवर्धनम्।

उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्।

 

Mrityunjaya chanting is considered to be curative and soothing. It is believed that by chanting Mrityunjaya, even a patient lying on a sick bed gets rid of the disease quickly. This mantra can also be chanted by oneself in case of fear of disease or misfortune.

Method Chant this mantra in forty five days by putting a picture of Mahamrityunjaya mantra. The patient will definitely benefit. The mantra should be chanted with complete devotion and purity.

मृत्युंजय जप को रोगनाशक और शान्तिदायक माना गया है। ऐसी मान्यता है कि मृत्युंजय जप से रोग शैया पर पड़ा रोगी भी शीघ्र रोग मुक्त हो जाता है। रोग या अनिष्ट की आशंका होने पर इस मन्त्र का जप स्वयं भी किया जा सकता है।

विधि – महामृत्युंजय मन्त्र का चित्र लगाकर इस मन्त्र का सवा लाख जप पैंतालीस दिन में कर लें। रोगी को निश्चित रूप से लाभ मिलेगा। पूरी निष्ठा एवं पवित्रता से मन्त्र का जाप किया जाए।

 

Mahamrityunjaya Mantra | महामृत्युंज्य मन्त्र

 

Om Haun Joon Sah Om Bhoorbhavah Svah.

Om Tryambakam Yajaamahe Sugandhim Pushtivardhanam.

Oorvaarukamiv Bandhanaanmrtyormuksheey Maamrtaat.

Svah Bhuvah Bhooh Om Sah Joon Haun Om..

ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भवः स्वः

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्

ऊर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्

स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ ॥

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