तेल मालिश (Oil Massage) पर इस ब्लॉग के माध्यम से हम जानेंगे की :-
तेल मालिश क्या है? क्या हैं तेल मालिश के नियम? (What is Oil Massage? What are Its Rules?)
तेल मालिश के क्या फायदे हैं? (Benefits of Oil Massage)
क्या तेल मालिश रोज करना चाहिए? (Can Oil Massage be Done Daily?)
किसे तेल मालिश नहीं करनी चाहिए? (Who Should Not Do Oil Massage?)
जैसा कि हम जानते हैं कि वायु को नाक द्वारा ही लिया या ग्रहण किया जाता है। लेकिन वास्तविक रूप से जितनी वायु हम नाक द्वारा ग्रहण करते हैं उतने से हमारे शरीर का काम नहीं चलता। हमारे शरीर को अनेक रोम कूपों के छिद्रों से युक्त बनाया गया है। त्वचा के इन्हीं छिद्रों के द्वारा वायु की कमी को पूरा किया जाता है। त्वचा के इन रोम कूपों को स्वच्छ, शुद्ध और खुला रखने के लिए तेल मालिश का तेल मर्दन करना अत्यंत आवश्यक है।
हिन्दू शास्त्रों में तेल मालिश के लाभ, हानि और नियम
Oil Massage as per Hindu Dharam Shastra, Benefits & Rules
Table of Contents
तेल मालिश (Oil Massage) पर चरक के विचार
स्पर्शनेभयाधिको वायुः स्पर्शनं च त्वगाश्रितम।
तवच्यश्च परम परम्भायांगस्तस्मात्तम शीलयेन्नरः ।।
चरकसंहिता सूत्र 5|87
Sparshanebhayaadhiko Vaayuh Sparshanan Ch Tvagaashritam।
Tavachyashch Param Parambhaayaangastasmaattam Sheelayennarah।।
Charakasanhita Sootra 5| 87
अर्थ (Meaning)
अपने शरीर को स्वस्थ रखने के लिए अधिक मात्रा में वायु की आवश्यकता होती है। वायु त्वचा के द्वारा ग्रहण की जाती है। त्वचा के लिए तेल मालिश (Oil Massage) अत्यंत ही उपयोगी है। इसलिए तेल मालिश अवश्य ही करनी चाहिए।
तेल मालिश के लाभ (Benefits of Oil Massage)
तेल मालिश त्वचा के रोम छिद्रों को खोल देती है जो स्वस्थ को भी लाभ पहुंचाता है।
अगर हम रोजाना सिर में तेल लगाते हैं तो बालों का गिरना, सिरदर्द, मस्तिष्क की दुर्बलता आदि समस्याओं से दूर रहते हैं।
शरीर में तेल मालिश करने से थकावट दूर हो जाती है।
खुश्की त्वचा का रूखापन तेल मालिश से दूर हो जाता है।
वात रोगों में आराम मिलता है।
पैरों के तलवों पर तेल से मालिश करने से एक तो थकान दूर होती है दूसरा शरीर में स्फूर्ति आ जाती है।
तेल मालिश करने से त्वचा कोमल बनती है।
तेल मालिश सरसों के तेल से करना अधिक उपयोगी माना जाता है।
धर्म शास्त्रों के अनुसार तेल मर्दन (Oil Massage as per Dharam Shastra)
तैलाभ्यङ्गे रवौ तापः सोमे शोभा कुजे मृतिः।
बुद्धये धनं गुरौ हानिः शुक्रे दुःखं शनो सुखम।।
Tailabhyalge Ravau Tapah: Somme Shobha Kuje Mriti ।
Buddhaye Dhanam Gurao Haani Shukre Dukham Shano Sukham ।।
अर्थ (Meaning)
रविवार (Sunday) को तेल मालिश करने से ताप बढ़ता है।
सोमवार (Monday) को तेल लगाने से सुंदरता बढ़ती है।
मंगलवार (Tuesday) को मृत्यु अर्थात आयु क्षीणता होती है।
बुधवार (Wednesday) को धन की प्राप्ति होती है।
गुरुवार (Thursday) को हानि होती है।
शुक्रवार (Friday) को दुख होता है और
शनिवार (Saturday) को तेल मर्दन करने से सुख प्राप्त होता है।
मना किए गए वारों या दिनों में तेल मालिश (Oil Massage on Different Days in a Week)
यदि हम मना किए गए वारों या दिनों (Oil Massage on Different Days in a Week) में तेल लगाना चाहे तो इसके लिए हमें:-
रवौ पुष्पं गुरौ दूर्वा भौमवारे तु मृतिका ।
गौमयं शुक्र्वारे च तैलाभ्यङ्गे न दोषभाक ।।
Ravau Pushpam Gurau Doorva Bhaumavaare Tu Mrtika ।
Gaumayan Shukravaare Ch Tailaabhyange Na Doshabhaak ।।
अर्थ (Meaning)
रविवार (Sunday) को तेल में पुष्प,
गुरुवार (Thursday) को तेल में दुर्गा,
मंगलवार (Tuesday) को तेल में मिट्टी तथा
शुक्रवार (Friday) को तेल में गोबर डालकर लगाने से दोष नहीं माना जाता।
खुशबूदार फूलों से तेल तथा सरसों के तेल से मालिश करना अच्छा माना जाता है।
इसके अलावा धर्म शास्त्रों में षष्ठी (Shashthi), एकादशी (Ekadashi), द्वादशी (Dwadashi), अमावस्या (Amavasya), पूर्णिमा व्रत (Poornima Vrat) एवं श्राद्ध (Shradh) के दिन तेल नहीं लगाना चाहिए। इसका कारण भी है स्पष्ट किया गया है कि गुलाब जैसे खुशबूदार फूल ठंडे होते हैं जिससे तेल की गर्मी का दमन हो जाता है, जिससे गर्म रविवार को भी मनुष्य को हानि नहीं होती है। इस तरह हरी दूर्वा स्मृति बढ़ाती है। अतः गुरु बृहस्पति भगवान बुद्धि के स्वामी हैं इस दिन दूर्वा मिश्रित तेल लगाने से बुद्धि की हानि नहीं होती। इसलिए शादी विवाह के कार्यक्रमों में तेल में दूर्वा को डूबा कर कई मांगलिक कार्य किए जाते हैं।
मंगलवार को मिट्टी में मिला देने पर गर्म तेल की उष्णता का शमन हो जाता है तथा शुक्रवार को तेल में गाय का गोबर या गोमूत्र मिलाने से तेल की वीर्य नाश करने की शक्ति का शमन हो जाता है।
यम स्मृति के अनुसार तेल मालिश (Oil Massage as per Yam Smriti)
सर्षपम गंधतैलं च यतैलम पुष्पवासितम ।
अन्यदृव्ययुतम तैलं न दुष्यति कदाचन ।।
Sarshapam Gandhatailam Ch Yatailam Pushpavaasitam ।
Anyadravyayutam Tailam Na Dushyati Kadachan ।।
अर्थ (Meaning)
सरसों का तेल, खुशबूदार तेल, पुष्पों से सुगंधित तेल अथवा अन्य द्रव्यों से बना तेल – यह सभी दोष रहित होते हैं अतः इन्हें किसी भी दिन लगा सकते हैं।
तेल मर्दन (Oil Massage) स्वास्थ्य की दृष्टि से हितकारी होने पर भी ब्रह्मचारी के लिए मना है। क्योंकि ब्रह्मचारी का मुख्य धर्म ब्रम्हचर्य का संयम पूर्वक पालन करना है।
विनम्र निवेदन-:
“गौ माता की रक्षा करें, माता पिता की सेवा करें और स्त्रियों का सम्मान करें”
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