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श्री शिव चालीसा | श्री शिव जी की आरती | श्री शिव मंत्र
Shiv Chalisa | Shiv Arti | Shiv Mantras
इस ब्लॉग के माध्यम से Shiv Mantras (श्री शिव मंत्र), Shree Shiv Chalisa (श्री शिव चालीसा), Shree Shiv Arti (श्री शिव आरती) आपके समक्ष प्रस्तुत है। अत्यंत शुभ फल प्राप्त करने हेतु यह पाठ हर रोज नियमपूर्वक श्रद्धा, विश्वास एवं एकाग्रचित हो करने पर समस्त कामनाओं की पूर्ति होती है।
श्री शिव मंत्र | Shree Shiv Mantras
पंचाक्षरी शिव मंत्र | Panchakshari Shiva Mantra
ॐ नमः शिवाय
Om Namah Shivaya.
महामृत्युंजय मंत्र | Maha Mrityunjaya Mantra
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् |
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ||
Om Tryambakam Yajamahe Sugandhim Pushti Vardhanam.
Urvarukamiva Bandhanath Mrityormukshiya Mamritat..
संपूर्ण महामृत्युंजय मंत्र | Sampoorn Mahamrityunjaya Mantra
ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः|
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् |
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात् |
ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ||
om haun joon sah om bhoorbhuvah svah
om tryambakan yajaamahe sugandhin pushtivardhanam
urvaarukamiv bandhanaanmr tyormuksheey maamrtaat
om svah bhuvah bhooh om sah joon haun om.
रूद्र मंत्र | Rudra Mantra
ॐ नमो भगवते रुद्राय
Om Namo Bhagwate Rudraay
श्री शिव चालीसा | Shiv Chalisa
|| दोहा॥
जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान।
॥चौपाई॥
जय गिरजापति दीनदयाला, सदा करत सन्तन प्रतिपाला।
भाल चन्द्रमा सोहत नीके, कानन कुण्डल नागफनी के।
अंग गौर शिर गंग बहाये, मुण्डमाल तन छार लगाये।
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे, छवि को देख नाग मुनि मोहे।
मैना मातु कि हवे दुलारी, वाम अंग सोहत छवि न्यारी।
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी, करत सदा शत्रुन क्षयकारी।
नन्दि गणेश सोहैं तहँ कैसे, सागर मध्य कमल हैं जैसे।
कार्तिक श्याम और गणराऊ, या छवि को कहि जात न काऊ।
देवन जबहीं जाय पुकारा, तबहीं दुःख प्रभु आप निवारा।
किया उपद्रव तारक भारी, देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी।
तुरत पडानन आप पठायउ, लव निमेष महँ मारि गिरायऊ।
आप जलंधर असुर संहारा, सुयश तुम्हार विदित संसारा।
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई, सबहिं कृपा कर लीन बचाई।
किया तपहिं भागीरथ भारी, पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी।
दानिन महँ तुम सम कोई नाहिं, सेवक अस्तुति करत सदाहीं।
वेद नाम महिमा तव गाई, अकथ अनादि भेद नहिं पाई।
प्रगटी उदधि मंथन में ज्वाला, जरे सुरासुर भये विहाला।
कीन्हीं दया तहँ करी सहाई, नीलकण्ठ तब नाम कहाई।
पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा, जीत के लंक विभीषण दीन्हा ।
सहस कमल में हो रहे धारी, कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी।
एक कमल प्रभु राखे जोई, कमल नयन पूजन चहँ सोई।
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर, भए प्रसन्न दिए इच्छित वर।
जै जै जै अनन्त अविनासी, करत कृपा सबकी घटवासी।
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै, भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै।
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो, यहि अवसर मोहि आन उबारो।
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो, संकट से मोहि आन उबारो।
मातु पिता भ्राता सब कोई, संकट में पूछत नहीं कोई।
स्वामी एक है आस तुम्हारी, आय हरहु मम संकट भारी।
धन निर्धन को देत सदाहीं, जो कोई जाँचे वो फल पाहीं।
अस्तुति केहि विधि करों तिहारी, क्षमहु नाथ अब चूक हमारी।
शंकर हो संकट के नाशन, मंगल कारण विघ्न विनाशन।
योगि यति मुनि ध्यान लगावै, नारद शारद शीश नवावै।
नमो नमो जय नमो शिवाये, सुर ब्रह्मादिक पार न पाए।
जो यह पाठ करे मन लाई, तापर होत हैं शम्भु सहाई।
ऋनिया जो कोई हो अधिकारी, पाठ करे सो पावन हारी।
पुत्रहीन इच्छा कर कोई, निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई।
पंडित त्रयोदशी को लावे, ध्यान पूर्वक होम करावे।
त्रयोदशी व्रत करे हमेशा, तन नहिं ताके रहे कलेशा।
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे, शंकर सम्मुख पाठ सुनावे।
जन्म जन्म के पाप नसावे. अन्त वास शिवपुर में पावे।
कहै अयोध्या आस तुम्हारी, जानि सकल दुःख हरहु हमारी।
॥दोहा ॥
नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीस।
तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश॥
मगसर छठि हेमन्त ऋतु, संवत् चौंसठ जान।
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥
आरती श्री शिव जी की | Shiv Arti
ॐ जय शिव ओंकारा, भज हर शिव ओंकारा, ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्धाङ्गी धारा। ॐ जय
एकानन चतुरानन पंचानन राजै, हंसासन गरुड़ासन वृषवाहन साजै। ॐ जय
दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहै, तीनों रूप निरखते त्रिभुवन मन मोहे। ॐ जय
अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी, चंदन मृगमद चंदा सोहै त्रिपुरारी। ॐ जय
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे, सनकादिक ब्रह्मादिक भूतादिक संगे। ॐ जय
करके मध्ये कमंडलु चक्र त्रिशूलधारी, सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी। ॐ जय
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका, प्रणवाक्षर में शोभित ये तीनों एका। ॐ जय
त्रिगुण शिव जी की आरती जो कोई नर गावे, कहत शिवानन्द स्वामी सुख सम्पत्ति पावे। ॐ जय
ॐ जय शिव ओंकारा, भज हर शिव ओंकारा, ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्धाङ्गी धारा। ॐ जय शिव ओंकारा
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